हिंदी सिनेमा में कल्ट फिल्म का दर्जा हासिल कर चुकी राही अनिल बर्वे की निर्देशित फिल्म ‘तुम्बाड’ इस हफ्ते एक बार फिर से सिनेमाघरों में वापसी कर रही है। यह फिल्म अपनी अनोखी कहानी, विश्वस्तरीय सिनेमैटोग्राफी और सस्पेंस भरे संगीत के लिए जानी जाती है, जिसने डरावनी फिल्मों की दुनिया में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया। अब जब ‘तुम्बाड’ री-रिलीज हो रही है, तो यह बॉक्स ऑफिस पर भी नए आयाम स्थापित कर रही है।
2018 में पहली बार रिलीज हुई इस फिल्म ने अपनी री-रिलीज (13 सितंबर 2024) की एडवांस बुकिंग में ही उतनी कमाई कर ली है, जितनी इसने अपनी शुरुआती रिलीज के पहले दिन की थी। ट्रेड विशेषज्ञों का मानना है कि फिल्म आने वाले दिनों में और भी कई रिकॉर्ड तोड़ सकती है।
ट्रेड पंडितों का अनुमान:
फिल्म की री-रिलीज को लेकर ट्रेड पंडित काफी उत्साहित हैं। इसे अब तक की सबसे सफल री-रिलीज में से एक माना जा रहा है। दर्शकों से मिली प्रतिक्रिया के अनुसार, ‘तुम्बाड’ आज की पीढ़ी की सबसे पसंदीदा हॉरर फिल्मों में से एक बन गई है। इतना ही नहीं, इसे भारत की शीर्ष 10 फिल्मों में शामिल किया जा रहा है, जहाँ इसका नाम ‘मुगल-ए-आजम’, ‘शोले’ और ‘बाहुबली’ जैसी ऐतिहासिक फिल्मों के साथ लिया जा रहा है।
हॉरर फिल्मों के बीच ‘तुम्बाड’ की अलग पहचान:
इस साल की हॉरर फिल्मों जैसे ‘मुंजा’ और ‘स्त्री 2’ जहां दर्शकों को हल्के-फुल्के हास्य और डर के साथ बांध रही हैं, वहीं ‘तुम्बाड’ की कहानी एक गहरे और भावनात्मक स्तर पर दर्शकों को जोड़ने में कामयाब रही है। फिल्म की विशेषता यह है कि यह भारतीय नाट्यशास्त्र के अद्भुत रस को प्रस्तुत करती है, जो इसे औरों से अलग करता है।
फिल्म का निर्माण:
‘तुम्बाड’ के निर्माण में छह साल का समय लगा, जिसमें हर एक दृश्य पर बारीकी से काम किया गया। खास बात यह है कि फिल्म के सभी बारिश के दृश्य असली बरसात में ही शूट किए गए हैं, जिससे इसकी प्रामाणिकता और भी बढ़ गई है। इसके अलावा, फिल्म में इस्तेमाल की गई बस 1935 के दौर की है और इसके विजुअल इफेक्ट्स स्वीडन में तैयार किए गए हैं, जो फिल्म को और भी ज्यादा प्रभावशाली बनाते हैं। यह मेहनत और समर्पण ठीक उसी तरह है, जैसे ‘मुगल-ए-आजम’ के निर्देशक के. आसिफ ने बेल्जियम से असली हीरे मंगवाकर फिल्म के महत्वपूर्ण दृश्य फिल्माए थे।
कहानी की ताकत:
फिल्म की कहानी एक अनूठी ताकत है, जिसे बड़े पर्दे पर पहले कभी नहीं देखा गया। इसमें पांडुरंग, विनायक, दादी, और हस्तर जैसे किरदारों ने दर्शकों को अपने अद्वितीय अंदाज से बांधा। इन पात्रों ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि एक साधारण और सटीक संदेश भी दिया—“लालच बुरी बला है।” यही संदेश फिल्म को खास बनाता है और दर्शकों के दिलों में इसे एक स्थायी जगह देता है।
युवाओं में उत्साह:
फिल्म की री-रिलीज को लेकर खासकर युवा वर्ग में गजब का उत्साह देखा जा रहा है। कई लोग इसे पहली बार बड़े पर्दे पर देखने के लिए बेताब हैं, जबकि जिन्होंने इसे पहले देखा था, वे फिर से इसका आनंद लेने को तैयार हैं।
अगले कदम:
‘तुम्बाड’ की री-रिलीज न केवल दर्शकों के लिए एक उपहार है, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी एक प्रेरणा है। फिल्म ने हॉरर जॉनर में एक नई दिशा दी है, और अब इसकी वापसी से नई पीढ़ी के दर्शक भी इससे रूबरू हो रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर और कौन से नए रिकॉर्ड बनाती है।

