निर्देशक अनीस बज्मी की मशहूर फिल्म श्रृंखला 'भूल भुलैया' की तीसरी किस्त का इंतजार कर रहे फैंस के लिए यह फिल्म खास है। 'भूल भुलैया 2' की सफलता के बाद, अब वे दर्शकों के लिए 'भूल भुलैया 3' लेकर आए हैं। अगर आप इस हॉरर-कॉमेडी में खो जाने का मन बना रहे हैं, तो पहले हमारी समीक्षा को पढ़ लें।
क्या विद्या बालन दोबारा मंजुलिका के रूप में दिखेंगी?
फिल्म की सबसे बड़ी ख़ासियत विद्या बालन की वापसी है। फिल्म में विद्या बालन का पुराना मंजुलिका का किरदार फिर से जिंदा होता है। क्या विद्या का यह अवतार पहले से भी ज्यादा डरावना और रोमांचक साबित होगा? और क्या माधुरी दीक्षित की उपस्थिति फिल्म को एक नई ऊर्जा देगी?
कहानी क्या बताती है?
फिल्म की कहानी 1824 के बंगाल के रक्तघाट से शुरू होती है, जहां मंजुलिका नाम की राजकुमारी अपने पिता के सिंहासन पर नजरें जमाए हुए है। मंजुलिका का यह जुनून उसे शस्त्र कला में भी माहिर बनाता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब मंजुलिका का बदला लेने का सफर अधूरा रह जाता है, और उसके मरने के बाद भी उसका भूत रक्तघाट में डर पैदा करने के लिए लौटता है।
200 साल बाद, रुहान उर्फ रूह बाबा (कार्तिक आर्यन) लोगों को भूत-प्रेतों के डर से छुटकारा दिलाने का दावा करता है। उसकी जिंदगी में मीरा (तृप्ति डिमरी) और उनके मामा (राजेश शर्मा) का आगमन होता है, जो उसे रक्तघाट ले जाते हैं। रुहान को यह नहीं पता होता कि असली मंजुलिका का सामना करना आसान नहीं है। अब सवाल यह है कि रुहान क्या वास्तव में मंजुलिका का भूत देख सकेगा और मीरा के परिवार को सुरक्षित रख पाएगा?
अनीस बज्मी का निर्देशन कैसा है?
फिल्म की शुरुआत एक दिलचस्प हॉरर सीक्वेंस से होती है, जहां मंजुलिका के किरदार को संजीवनी मिलती है। जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है, रुहान का पात्र हंसी-मजाक और पाखंड के रंगों में ढलता दिखाई देता है। फिल्म का पहला हिस्सा काफी मनोरंजक और सस्पेंस से भरा है। हालांकि, फिल्म का दूसरा हिस्सा अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरा नहीं उतरता और यहीं पर कहानी ढीली पड़ने लगती है। कई जगहों पर लॉजिक का अभाव देखने को मिलता है, और हॉरर-कॉमेडी का संतुलन भी बिगड़ जाता है।
क्या फिल्म में डर है या सिर्फ हंसी-मजाक?
'भूल भुलैया 3' में हॉरर के नाम पर कुछ पुराने और घिसे-पिटे सीन देखने को मिलते हैं, जो दर्शकों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाते। कहानी में डर और हास्य के तत्व को मिलाने की कोशिश की गई है, लेकिन कॉमेडी के हिस्से में ज़्यादातर हंसी को पकड़ पाना कठिन है। सेकेंड हाफ में दर्शक उम्मीदों के मुताबिक रोमांच नहीं पा पाते और फिल्म कई बार बोझिल लगने लगती है।
एक्टिंग परफॉर्मेंस कैसी है?
कार्तिक आर्यन की परफॉर्मेंस ने अक्षय कुमार की छवि को जीवंत करने का प्रयास किया है। हालांकि, फिल्म में आगे बढ़ते हुए कार्तिक अपने असली अंदाज में लौट आते हैं। विद्या बालन और माधुरी दीक्षित ने अपने-अपने किरदारों को जीवंतता दी है। खासकर विद्या का भूतिया अंदाज दर्शकों को भाता है। वहीं, सपोर्टिंग कास्ट जैसे विजय राज, राजेश शर्मा, राजपाल यादव, संजय मिश्रा, अश्विनी कालसेकर जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों में जान डालने की पूरी कोशिश की है।
क्या क्लाइमैक्स फिल्म को बचा पाया?
फिल्म का क्लाइमैक्स दर्शकों को निराश कर सकता है। हॉरर और कॉमेडी का यह मिश्रण आखिरी हिस्से में कमजोर पड़ जाता है। पटकथा में कुछ लूपहोल्स हैं, जो कहानी की पकड़ को कमजोर कर देते हैं और दर्शकों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा नहीं उतर पाते।
क्या आपको 'भूल भुलैया 3' देखनी चाहिए?
अगर आप हॉरर-कॉमेडी पसंद करते हैं और कार्तिक-विद्या की जोड़ी देखने के इच्छुक हैं, तो एक बार इस फिल्म को देख सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि यह फिल्म अपेक्षाओं के अनुरूप पूरी तरह नहीं उतरी है। फिल्म में कुछ ऐसे सीन हैं जो दर्शकों को बांधते हैं, लेकिन कहानी की कमी और अंत में थकाऊ क्लाइमैक्स इसे यादगार नहीं बना पाता।
आखिरकार, 'भूल भुलैया 3' एक मनोरंजन है या निराशा?
यह फिल्म उन दर्शकों के लिए एक बार देखे जाने लायक हो सकती है जो हल्की-फुल्की हॉरर-कॉमेडी का आनंद लेना चाहते हैं, लेकिन इस फिल्म में भूल भुलैया जैसा जादू शायद गायब है।
